रोहतास दूर्ग (एक झलक)

द्वारा प्रेरित तथा निर्देषित > नारायण दत्त दुबे (पूर्व प्राध्यापक)लेखक > ओमकार पाण्डे्य प्रस्तुत लेख बिहार के सासाराम मेें स्थित रोहतास दूर्ग पर आधारित है। इस से जुड़े प्रत्येक बातों अथवा रहस्यों को बारीकी से क्रमद्ध उजागर कर पाना लगभग असम्भव सा है। फिर भी मैने साक्ष्यों के आधार पर यथा सामर्थ्य त्रुटि रहित सामग्री देने का प्रयास …
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मधुशाला [शाम-ए-जाम]

वो काव्य सरस मधुषाला थीयह भाव सरस मधुषाला हैवह हरि जी की मधुषाला थीयह सर्व सरल मधुषाला है।। पूजा–पाठ की ओज न खोजेजिधर भी खुल जायेमधुकर पहॅंुचें सूंघ-सूंघ करकर लाखों जतन उपाय समरूप सम वृहद भूमि समदेख समन्वय मधुषाला कीपृश्ठ भूमि कम फिर भी हरदमलगी भीड़ है मधुषाला की।। सूझ न आती मुझे कभी येइसमें …
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समझ गया मैं

प्रस्तुत कविता दर्षा रही है कि हम कुछ बहुत बड़ा करने की चाहत में छोटे संभावित आधारों को नजर अंदाज़ करते जाते हैं, जिसका परिणाम होता है कि उस बड़ा पाने के कयास में एक बहुत बड़ा और कीमती समय न जाने कब हमारे हाथ से निकल जाता है। बीत रहे हर पल को पकड़ोसमयचक्र जो …
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कर्मयोग

प्रस्तुत कविता जीवन में आने वाली असहजताओं से जूझने और चुनौनियों का सामना करने की प्रेरणा दे रही है।जीवन एक संघर्षशील मार्ग है जिसमें यदा-कदा हार और निराशा का भी सामना करना पड़ता है।चुनौतियों से हार न मानते हुये कर्मठता के साथ अंत तक प्रयासशील रहना चाहिये। कर्मभूमि की कर्मशाला मेंकिये प्रयोग घनेरेकुछ खोया कुछ …
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संयम और युक्ति

इंसानों के बीच रहने वाला एक पालतू कुत्ता एक दिन अपने घर जाने के क्रम में रास्ता भटक गया और चलते चलते वह घने जंगल में प्रवेष कर गया।भटके हुये रास्ते पर चलते-चलते वो काफी अंदर तक चला आया। तभी उसे अपने चलने के क्रम में कुछ आहट सुनाई दी और उसने मुड़ के देखा …
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आचार्य रावण ने जब राम से मांगी अद्भुत दक्षिणा

प्रस्तुत प्रसंग महर्षि कम्बन द्वारा अनुवादित ‘कम्ब रामायणम्’ मूल नाम ‘रामावतारम्’ से लिया गया है।ज्ञात हो कि इस प्रसंग का वर्णन बाल्मीकि तथा तुलसीकृत रामायण में नहीं है। रावण केवल शिवभक्त, विद्वान, महाबली, महायोद्धा ही नहीं था बल्कि अति.मानववादी तथा परोपकारी भी था। उसे भविष्य का पता था। वह जानता था कि श्रीराम से जीत …
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मोटापा कम करने के आसान घरेलू तरीके

मोटापा एक ऐसी बिमारी है जो न चाहते हुये भी आपके षरीर में घर बना लेती है और आपके प्यारे षरीर को धीरे-धीरे दीमक की तरह अंदर ही अंदर खोखला करने में लग जाती है। और इसमें सबसे गंभीर बात ये है कि इसका पता आपको तुरंत नहीं लग पाता। जब तक आपको इसका पता …
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हम बड़ी तेज हईं {भोजपूरी व्यंग्य}

प्रस्तुत ‘भोजपूरी’ व्यंग्य–काव्य रचना हमारे दिखावेपन के परिवेश तथा नवयुवा वर्ग में बढ़ रही उग्र तथा उत्तेजक मानसिकता को दर्शा रही है। बस सूखल गुमान बाकि हम बड़ी तेज हईंबाबा के गॉंवेएगो टूटही मचान बाकि हम बड़ी तेज हईं भंसल पलानी आ ढहल दलानी केखपरइली मड़ई में छितराइल मुजवानी केओरियान छवात नईखे अइसन गुमानी केतबो …
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सरदारजी और वो नोटबंदी का दिन !!!

माननीय पी.एम. द्वारा 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी की घोशणा की गई और ये वाकया उसके अगले ही दिन का है। मेरी जेब में 500 और 1000 रूपये के नोट थे लेकिन पॉकेट में हजारों रूपये रहने के बावजूज मैं उस पूरे दिन भूखे ही रह गया। ऑटो वाले से लेकर अच्छे-अच्छे होटल वालों ने …
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