प्रस्तुत ‘भोजपूरी’ व्यंग्य–काव्य रचना हमारे दिखावेपन के परिवेश तथा नवयुवा वर्ग में बढ़ रही उग्र तथा उत्तेजक मानसिकता को दर्शा रही है। बस सूखल गुमान बाकि हम बड़ी तेज हईंबाबा के गॉंवेएगो टूटही मचान बाकि हम बड़ी तेज हईं भंसल पलानी आ ढहल दलानी केखपरइली मड़ई में छितराइल मुजवानी केओरियान छवात नईखे अइसन गुमानी केतबो …
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