(भाग: 1) स्थान तथा पात्र परिचयसत्य घटना पर आधारित आपबीती कथा….घटना स्थल : नरौरा (परमाणु ऊर्जा केन्द्र स्थल), जिला बु0ष0, उ0प्र0. घटना : सन् 1997समय : प्रातः कालकथा नायक : मंगल गुप्ता, मूंगा (काल्पनिक नाम){सात (7) खण्डों में आबंटित} इस आपबीती कथा में कुछ अपषब्दों का प्रयोग है चुॅंकि यह कथा मित्रों के बीच संवाद पर आधारित है। ये घटना नरौरा में सन् 1997 …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 1)
Category:कहानी/ लघुकथा
वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 2)
भाग: 2 (हमारी दिनचर्या़ और योजना) हमारा दौड़ और व्यायाम का क्रम चलते चलते-चलते करीब एक माह निकल गया। इसी दौरान एक षाम वर्शा हो गई और अब कहानी का ट्वीस्ट यहाॅं से चालू होता है।मैं अगली सुबह के लिये भोजन कर के सो गया। अब सुबह रोज जल्दी जगने के चलते नींद अपने आप …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 2)
वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 3)
भाग: 3 {संदिग्ध वृद्ध से संवाद} कहानी का रोमांचक पड़ाव जैसा कि बहुत सारे क्षेत्रों में प्रायः अपनी-अपनी क्षेत्रिय भाशा का चलन रहता है जिसमें प्रातः कोई भी मिलता है तो उसे लोग अपने-अपने लहज़े में गुड-माॅरनिंग या दुआ-सलाम करते हैं उसी प्रकार यहाॅं भी लोग राम-राम बोल कर संबोधित करते थे, चाहे वो किसी भी …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 3)
वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 4)
भाग: 4 [संदिग्ध वृद्ध से विवाद] कहानी का मुख्य पड़ाव मैं बोलाः- हाॅं बे यार, ये तो खंबे जैसा दिख रहा है, न हिल रहा है, न ही बोल रहा है, ये डुकरा तो एकदम ताड़ की झाड़ लग रहा है।तु तो ये बता तेरा क्या हाल है?और मैं मूॅंगा के मनः भाव का आभास …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 4)
वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 5)
भाग: 5 [अति भयभीत स्थिती और भागने का प्रयास] अब तक मैं जिस बात को नज़र अंदाज़ कर रहा था वो बात मुझे अचानक से ध्यान आई, और वो बात थी समय।ये ध्यान में आते ही मैने चारों तरफ नजर दौड़ाई कि कहीं कोई आदमी दिखे, लेकिन दूर तक भी किसी की आहट महसूस नहीं …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 5)
वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 6)
भाग: 6 [लोग एकत्रित, मूंगा का इलाज] आगे बद़ते बद़ते हम अब रोड लाईट के नीचे आ चुके थे, अब हम उस पेड़ और उस मौत के मंज़र से करीब सत्तर मीटर की दूरी पर थे, और अब जा के मैने राहत की साॅंस ली। अब यहाॅं पहुॅंच कर मैंने उसे लेटा दिया और इस …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़ (भाग: 6)
वो भोर की खौफनाक दौड़, अंतिम (भाग: 7)
भाग: 7 [अंत भला तो सब भला] करीब दस दिन इलाज के बाद वो धीरे-धीरे सबको पहचानने भी लगा, और करीब एक माह तक वो अस्पताल में ही रहा। एक माह बाद उसे अस्पताल से छोड़ा गया। घर आने के बाद भी वह लगभग तीन माह तक बिस्तर पर ही पड़ा रहा। तीन माह बाद …
Continue reading वो भोर की खौफनाक दौड़, अंतिम (भाग: 7)
संयम और युक्ति
इंसानों के बीच रहने वाला एक पालतू कुत्ता एक दिन अपने घर जाने के क्रम में रास्ता भटक गया और चलते चलते वह घने जंगल में प्रवेष कर गया।भटके हुये रास्ते पर चलते-चलते वो काफी अंदर तक चला आया। तभी उसे अपने चलने के क्रम में कुछ आहट सुनाई दी और उसने मुड़ के देखा …
Continue reading संयम और युक्ति
आचार्य रावण ने जब राम से मांगी अद्भुत दक्षिणा
प्रस्तुत प्रसंग महर्षि कम्बन द्वारा अनुवादित ‘कम्ब रामायणम्’ मूल नाम ‘रामावतारम्’ से लिया गया है।ज्ञात हो कि इस प्रसंग का वर्णन बाल्मीकि तथा तुलसीकृत रामायण में नहीं है। रावण केवल शिवभक्त, विद्वान, महाबली, महायोद्धा ही नहीं था बल्कि अति.मानववादी तथा परोपकारी भी था। उसे भविष्य का पता था। वह जानता था कि श्रीराम से जीत …
Continue reading आचार्य रावण ने जब राम से मांगी अद्भुत दक्षिणा