चुनावी माहौल अपनी स्पीड में दौड़ की होड़ लगाने में लगा हुआ है। भिन्न-विभिन्न पार्टियॉं अपनी खटिया की पटिया को मजबूत बनाये रखने के लिये चुनावी स्टंप के तौर पर अपने अपने गुर्गों को मुर्गों की तरह मैदान-ए-ज़ंग के रनवे पर लैंडिंग करा रहीं हैं तो कुछ पार्टियॉं टेक ऑफ भी करा रहीं हैं। रनवे पर इतनी भंसड़ मची हुई है कि युवा लौंडों को बुझइबे नहीं कर रहा है कि आखिर इनमें कड़क नाथ है कौन?
इसी उधेड़ बुन में जिला बक्सर का भी गोबर मिश्रित माटी पलीत होता दिख रहा है।
इ साला चुनाव प्रसार चल रहा है या कन्फ्यूजिया देने वाला पज़ल गेम।
जी हॉं मैं बात कर रहा हूॅं IPS आनन्द मिश्र की।
एक तरफ जहॉं बक्सर की धरती को बक्सर का ही अगुवइया नहीं मिल पा रहा था तो बक्सर वासियों को बड़ा झेलान हो रहा था और वहीं जब सामने एक आनन्द आया भी तो पाटी वाला सब आनन्दे ही नहीं लेने दे रहे हैं।
पाटी के मुखिया टिकटवे दुसरा आदमी को थमाने में माथा पच्चीसी किये हुये हैं।
बकिया हम ये बता देते हैं कि यदि अपना बक्सर का एनभायरमेंट में कुछ अच्छा चंेज चाहिये तो अपना रेंज भी चंेज करना ही पड़ेगा।
क्या ही दिक्कत है कि बक्सर का वर्तमान सारथी भविष्य का महारथी बन जाये जो कि बक्सर नगर वासियों के उत्थान के लिये लिये एक अमोघ अस्त्र साबित हो सकता है।
ये आनन्द जो प्रशासनिक अधिकारी रह चुका एक युवा, जो अपनी वाक्पटुता और व्यवहार कुशलता से युवाओं समेत लोगों के दिलों में अपना स्थान बना रहा है।
इसलिए
आनन्द दो फिर आनन्द लो
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